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तथ्य भारती के साथ आर्थिक दुनिया के पास

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तथ्य्भारती के तथ्य भारत में आर्थिक पत्रकारिता की शुरूआत के 126 वर्ष पुरे हो चुके हैं। प्रारम्भ के कई सालों […]

भारत में आर्थिक पत्रकारिता की शुरूआत के 126 वर्ष पुरे हो चुके हैं। प्रारम्भ के कई सालों तक आर्थिक पत्रकारिता के क्षेत्र में अंग्रेजी टेबलाइड व व्यापारिक बुलेटिनों का प्रभुत्व रहा है | भाषायी क्षेत्र में आर्थिक पत्रकारिता के श्रीगणेश की गति धीमी रही है | आर्थिक विकास के साथ भाषायी आर्थिक पत्रकारिता की शुरुआत कोलकाता से हुई। धीरे-धीरे हिंदी भाषी क्षेत्र में कई पत्रिकाएं और दैनिक पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ | इन्हीं में से एक ”तथ्यभारती“ भी है |1995,से वाराणसी/ कोटा से |

तथ्यभारती अपने प्रकाशन के 26 वर्षों के पड़ाव से गुजर चुकी है। यह अवधि तथ्यभारती जीवंतता का प्रतीक होने के साथ हिंदी आर्थिक मासिकी के रूप मे राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता बढ़ी है। गौरतलब है कि अधिकांश हाई प्रोफाइल और ग्लॉसी पेपर पर मुद्रित पत्रिकाएँ मुश्किल से 4-5 वर्ष भी नहीं चल पाई, पर तथ्यभारती निष्पक्ष और जमीनी सचाई के कारण आज 27वे वर्ष में है। इसका बहुत कुछ श्रेय देश भर में फैले हमारे आजीवन ग्राहकों, विज्ञापनदाताओ और सम्माननीय लेखकों के मूल्यवान संरक्षण को जाता है।

तथ्य्भारती की टीम मे देश के ख्यात अर्थशास्त्री , पत्रकार, पर्यावरण पुरोधा और समाजकर्मी शामिल हैं। तथ्यभारती के प्ररकाशन में इन महानुभावों का योगदान स्तुत्य है। सूचना, ज्ञान और विश्लेषण की त्रिवेणी के रूप में देश के आर्थिक परिदृश्य की सटीक और सकारात्मक प्रस्तुति, जमीनी सचाई की हकीकत को उजागर करके आर्थिक मुद्दों पर पाठकों को जागरूक बनाना तथ्य्भारती का मुख्य उद्देश्य है| तथ्यभारती अपने प्रकाशन के 26 वर्षो में कई उतार-चढ़ाव देख चुकी है | मोजूदा समय तथ्यभारती के लिए काफी संकटपूर्ण है | फिर भी हम आशान्वित हैं कि उदारमना ग्राहकों , विज्ञापनदाताओं और माननीय लेखकों के संरक्षण से इस संकट की स्थिति से जल्दी उभर सकेंगे |

भारत में बिजनेस का माहौल अच्छा है । हम चाहते हैं कि भारत में रैग्यूलेटरी स्थिरता हो।

भारतीय अर्थव्यवस्था का तत्काल भविष्य में क्या होगा यह मैं नहीं जानता हूँ, लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि अगला दशक भारत का है।

बिल गेद्स

माइक्रोसॉफ्ट के कॉ-फाउंडर व विश्व के महा धनवान

अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती बरकरार रहती है, तो भारतीय आईटी कंपनियाँ इस साल करीब 30-40 हजार 6. |
लोगों को नौकरी से निकाल सकती हैं । पाँच सालों में आईटी 7 इंडस्ट्री में बहुत बदलाव होता है और उसी से लोगों को नौकरी से निकाला जाता है।

मोहनदास पर्ड

इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ व आए टी दिग्गज

Our Coverage of Grossroot

निवेदन

आर्ट पेपर के रंगीन कवर समेत 48 पृष्ठों की ' तथ्य भारती ' के प्रकाशन का उधेश्य- आथक पारदश्य का विश्लेषणपूर्ण और रचनात्मक प्रस्तुति है, ताकि पाठकों के चिन्तन को नया आयाम मिले। यह उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है, जो इकोनमी के विविध पक्षों यथा कृषि, उद्योग, वित्तीय दुनिया, वाणिज्य, कारोबार , उद्यमिता, लघु व ग्रामोद्योग, पर्यटन, पर्यावरण और कैरियर के बारे में तथ्यात्मक जानकारी चाहते हैं। आज के माहौल में देश का आर्थिक तापमान जानने के लिए “तथ्य भारती! उपयोगी माध्यम है|
दीनानाथ दुबे
सम्पादक

इनका कहना है ..

हिन्दी में तथ्य भारती ' का प्रकाशन एक सुखद प्रयास है और इससे हिन्दी की आर्थिक पत्रकारिता के क्षेत्र में, जो शून्यवत्त स्थिति थी, कुछ हद तक दूर हुईं है।
दैनिक आज
7 सितम्बर 1996
तथ्य भारती ' आर्थिक पत्रकारिता के क्षेत्र में एक सुनिश्चित नाम है, जिसका प्रकाशन मई 1995 से हो रहा है। इसमें अनेक सम-सामयिक लेख, रपटें, वरिष्ठ उद्यमियों की पुरूषार्थ गाथा, पर्यटन पर जानकारी एवं प्रतियोगी छात्रों के लिए ऐसी सामग्री उपलब्ध है, जिनका लाभ सभी वर्ग के पाठकों को मिलेगा।
राजस्थान पत्रिका
20 जुलाई 1997
यह अणेक्षा करना बेजा होगा कि “तथ्यभारती ” आर्थिक जगत की दबी हुई सच्चाईयों को उजागर करते हुए विकसित देशों की चालबाजी, नीति- निर्माताओं की करतूतों को सामने लाने में सहायक होगी।
इण्डिया टूडे
2 दिसम्बर 1998

Registered With Niti Aayog / Ministry of MSME Gov. of India

संपादन परामर्श मण्डल:

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    डॉ. दीनानाथ तिवारी, प्रयागराज
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    प्रोफसर अरुण कुमार, गुरुग्राम
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    डॉ. आर.के. मिश्रा, हैदराबाद
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    डॉ. श्रीधर द्दिवेदी, नॉएडा
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    श्री सुभाष अरोड़ा, नई दिल्ली
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    डॉ. शुभ्रता मिश्रा, वास्को-द-गामा
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    श्री नवल किशोर शर्मा, जयपुर

संपादक:

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    दीनानाथ दुबे, कोटा

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    दीनानाथ दुबे, कोटा

Appreciation For Tathya Bharti By Noted Economist's

Prof. Kamal Nayan Kabra

Congratulating you & wishing Tathya Bharti a bright & far greater purposive flourishing.

Prof. Arun Kumar

I have been a reader of the magazine for long and certainly for more than a decade. I have found its coverage to be all-round consisting of both analysis and news of the important current issues, whether they be economic, social or political. The articles tend to be both analytical and based on hard facts. The language is simple and not convoluted so the magazine is eminently readable. I wish the magazine the best for a bright future.

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